Bank FD vs Bonds : साल 2024 खत्म होने की कगार पर है और जल्द ही नया साल दस्तक देने आ रहा है। हर इंसान अपनी आमदनी का कुछ ना कुछ भाग अपने आकस्मिक खर्च के लिए अवश्य बचाता है, और इसके लिए वह यह भी चाहता है, कि वह किसी ऐसी जगह पर अपनी राशि को निवेश करें, जहां उसे निवेश के बेहतर ऑप्शन मिल सकें। 1 जनवरी 2025 से साल 2024- 25 की चौथी तिमाही की शुरुआत हो जाएगी। यह वह समय होता है, जिसमें प्रत्येक व्यक्ति को अपनी सैलरी के हिसाब से इनकम टैक्स चुकाना पड़ता है। और सरकार के समक्ष अपनी सैलरी का पूरा विवरण देना होता है। ऐसे में प्रश्न उठता है, कि आखिर किन जगहों पर हम अपना धन निवेश करें जहां बिना किसी रिस्क के हमें बेहतर रिटर्न तो मिले ही मिले, इसके साथ-साथ हमें इनकम टैक्स का भी खतरा न झेलना पड़े। ऐसी स्थिति में बैंकों में फिक्स्ड डिपॉजिट के साथ-साथ बान्ड में टैक्स पेयर्स के लिए एक बेहतर विकल्प मौजूद है।
FD या बान्ड 2025 में निवेश करना कहां है बेहतर
प्रश्न उठता है निवेशकों के लिए कहां निवेश करना बेहतर होगा। एक निवेशक के लिए बैंकों के फिक्स्ड डिपॉजिट में निवेश करना अधिक बेहतर है (Bank FD vs Bonds) या फिर बान्ड में। जहां बैंक एफडी मौजूदा समय में 6 -7.50 फ़ीसदी तक का रिटर्न दे रहे हैं, वही बॉन्ड यील्ड लगभग 9 फीसदी का रिटर्न दे रहा है, जोकि एफडी से अधिक बेहतर ऑप्शन है, लेकिन एफडी की अपेक्षा बान्ड में निवेश करना थोड़ा रिस्की हो सकता है। बात चाहे बैंक एफडी की हो रही हो या बान्ड की, दोनों में निवेश लॉक इन पीरियड रहता है, लेकिन किसी भी बान्ड पर किए जाने वाले निवेश में हमें जो भी रिटर्न प्राप्त होता है, उस पर किसी प्रकार का टैक्स नहीं चुकाना पड़ता, जबकि एफडी पर मिलने वाले ब्याज पर हमारा टीडीएस कट जाता है।
बॉन्ड में निवेश करना क्यों है बेहतर
किसी भी बान्ड पर निवेश करने से हमें एफडी की अपेक्षा बेहतर रिटर्न (Bank FD vs Bonds) मिलता है। जी हां बैंक एफडी पर रिटर्न पहले से ही निर्धारित होता है। इसके निवेश पर किसी प्रकार का रिस्क नहीं होता। लेकिन कॉरपोरेट बॉन्ड में निवेश करने पर हमें थोड़ा जोखिम तो उठाना ही पड़ता है, लेकिन हमें रिटर्न अधिक बेहतर मिल सकता है। हमें एफडी पर जो भी ब्याज मिलता है, उस पर टीडीएस कट जाता है। लेकिन वही कई ऐसे बान्ड है जिनमें मिलने वाला ब्याज पूरी तरह से टैक्स फ्री होता है। इसमें म्युनिसिपल बान्ड से लेकर एनएचएआई तक के बान्ड के नाम शामिल है। इसके साथ-साथ लॉन्ग टर्म बॉन्ड में अगर हम निवेश करते हैं, तो उस पर हमें इंडेक्सेशन का भी लाभ मिल जाता है जिससे हम टैक्स के बोझ से बच जाते हैं।
FD पर भारी बान्ड
हम बैंक में जो भी फिक्स्ड FD कराते हैं, उस पर एक निश्चित पीरियड होता है। यानी मैच्योरिटी से पहले हम अपनी एफडी को ब्रेक नहीं कर सकते और किसी भी एफडी को ब्रेक करने पर हमें उसकी पेनाल्टी भी चुकानी पड़ती है, लेकिन बान्ड एक सेकेंडरी मार्केट ट्रेडिंग होता है, जिस पर निवेशको के पास इसे बनाने का आप्शन उपलब्ध होता है। और एफडी की अपेक्षा उस पर बेहतर रिटर्न भी उपलब्ध है। अगर हम बान्ड में अपनी राशि निवेश करते हैं, तो एक अवधि के बाद निवेशकों को ब्याज का भुगतान कर दिया जाता है। जो उनकी इनकम के लिए एक बेहतर विकल्प साबित हो सकता है। लेकिन एफडी पर ब्याज का भुगतान मेच्योरिटी पीरियड से पहले नहीं किया जा सकता।
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