Business Success Story : लोगों में अगर किसी बात को कर दिखने का जज्बा होता है, तो वह मुश्किल से मुश्किल परिस्थितियों में भी कामयाब हो जाते हैं, जिनमें शायद ही उन्हें कामयाबी मिलना संभव हो। जी हां इंसान अपने हौसले और जुनून से हर मुश्किल से मुश्किल काम को आसान बना देता है, फिर चाहे रास्ते में कितनी ही दिक्कतें क्यों न आंए।
कुछ ऐसी ही कहानी आईआईटी खड़गपुर से इंजीनियरिंग करने वाले इस युवक की है। जिसने IIT से इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद नौकरी ना करके एक ऐसी कंपनी खड़ी कर दी जो किसानों और मल्टी नेशनल कंपनियों के बीच काम कर रही है। इस कंपनी के टर्नओवर की बात करें तो इसका सालाना टर्नओवर 50 करोड़ से अधिक का है, जोकि एक इंजीनियर की कमाई की अपेक्षा ढाई सौ गुना अधिक है। आई आज इस आर्टिकल से जानते हैं, इस युवक की बिजनेस स्टोरी के बारे में विस्तार से।
Business Success Story
इस कहानी में जिस युवक के बारे में बात की जा रही है, वह गुरुग्राम का अनीश जैन है। वह खड़कपुर IIT से इंजीनियरिंग कर चुका है, और उसके पास एक बेहतर नौकरी और विलासित पूर्ण जीवन भी था। लेकिन उसके अंदर कुछ करने का ऐसा जज्बा था जिसके कारण सब कुछ होने के बावजूद भी वह चैन से नहीं बैठ सका। जी हां साल 2009 में अनीश जैन को Gates Foundation द्वारा Funded एक प्रोजेक्ट पर काम करने का सुनहरा अवसर मिला। यह अवसर राजस्थान के किसानों की लाइफ से जुड़ा हुआ था। यही से अनीश जैन के जीवन का रुख बदल गया और वह बुलंदियों के ऐसे शिखर पर पहुंच गए की लोग उनकी तारीफें करते नहीं थकते।
किसानों की समस्याओं से सूझा आइडिया
अनीश जैन को अपनी कंपनी बनाने का विचार किसानों की समस्याओं को देखकर जागृत हुआ। जी हां राजस्थान में काम करते हुए जब अनीश ने देखा कि किसानों को उनकी फसल के हिसाब से उचित दाम नहीं मिल पा रहे है। वही बड़ी कंपनियों को भी उनकी जरूरत के हिसाब से क्वालिटी फसल मिलने में कठिनाई हो रही थी। इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए अनीश में सोचा कि किसानों और कंपनियों के बीच उचित तालमेल नहीं बन रहा है। इन्हीं कारणों के चलते यह संकट की स्थिति जन्म ले रही है, और वह इसका समाधान ढूंढने के प्रयास में लग गए।
'ग्राम उन्नति' स्टार्टअप की ऐसे की शुरुआत
अनीश ने किसानों और कंपनियों की समस्याओं के समाधान को लेकर साल 2013 में 'ग्राम उन्नति'' नामक एक बिजनेस शुरू किया जिसका मुख्य उद्देश्य किसानों और मल्टीनेशनल कंपनियों के बीच उचित तालमेल बिठाना था।
'ग्राम उन्नति' का तात्पर्य किसानों को उनके प्रोडक्ट के सही दाम उपलब्ध कराना और कंपनियों को उनकी आवश्यकतानुसार हाई क्वालिटी वाली फसल उपलब्ध कराना था।
फंडिंग और अन्य दिक्कतों का करना पड़ा सामना
इतना बड़ा बिजनेस बनाना कोई खेल नहीं था। इसके लिए काफी तगड़े फंड की आवश्यकता थी। अनीश ने अपनी बचत तो इस बिजनेस में लगा ही दी। इसके साथ-साथ उन्होंने अपने परिवार और दोस्तों से भी सहायता मांगी। लगभग चार करोड़ की लागत से उन्होंने अपने इस स्टार्टअप की शुरुआत की। हालांकि शुरुआती दौर में उन्हें काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ा। लेकिन उनके हौसले और आत्मविश्वास ने उन्हें कमजोर नहीं पड़ने दिया और वह अपने मकसद में कामयाब हुए। जी हां किसानों के लिए कुछ कर दिखाने का उनका जज्बा आखर रंग लाया ही।
कहां तक है कंपनी की पहुंच
अनीश की कंपनी 'ग्राम उन्नति' आज देश के 8 राज्यों को अपनी सेवाएं प्रदान कर रही है। जी हां 'ग्राम उन्नति' 18 से 20 प्रकार की फसलों जैसे अनाज, तिलहन, मसाले, दालें, फल और सब्जियों पर विशेष प्रकार से कम कर रही है। शुरुआती दौर में इस कंपनी ने राजस्थान के सरसों और सोयाबीन की खेती करने वाले कृषकों के साथ भी मिलकर काम किया है। आज हजारों किसान इस प्लेटफार्म से जुड़ चुके हैं।
चौका देने वाली कमाई आई सामने
'ग्राम उन्नति' के सालाना टर्नओवर की बात करें तो वह 50 करोड रुपए से भी कहीं अधिक है। अनीश की कमाई का मात्र एक औसत इंजीनियर की कमाई की अपेक्षा 250 गुना कहीं अधिक है। अनीश की यह उपलब्धि ना उन्हें सभी से अलग बनाती है बल्कि ऐसे युवाओं के लिए भी प्रेरणादायक साबित हो रही है जो बड़े-बड़े सपने पूरा करने के प्रयास में लगे रहते हैं।
कामयाब होने के लिए बुलंद हौसले
अनीश जैन की कहानी से पता चलता है कि किसी भी इंसान को अपने जीवन में कामयाब होने के लिए यह आवश्यक नहीं है, कि उसने जिस क्षेत्र में काम किया है उसे उसी में महारथ हासिल हो। बल्कि यह तो उसकी सोच, जुनून और मेहनत पर निर्भर करता है कि वह किस क्षेत्र में सफलता का परचम फहराए। जी हां अनीश का यह स्टार्टअप न सिर्फ उसकी जिंदगी बल्कि हजारों किसानों की जिंदगी बदलने में कामयाब रहा। इससे हमें यह सीख मिलती है कि अगर किसी भी इंसान में बड़े-बड़े सपने देखने और उन्हें पूरा करने की हिम्मत होती है, तो वह जीवन में कभी हार नहीं मानता, और बुलंदियों के ऐसे शिखर पर पहुंच जाता है जहां शायद पहुंचना संभव नहीं होता।