Starlink : दुनिया के सबसे रईस उद्योगपति एलन मस्क (Elon Musk) जल्द ही भारत में स्टारलिंक (Starlink) की सर्विस शुरू करने जा रहे हैं। जी हां वह सैटलाइट इंटरनेट सेवाओं के लिए लाइसेंस हासिल करने का लगातार प्रयास कर रहे हैं। केंद्रीय दूरसंचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) ने कहा कि अगर एलन मस्क भारत में अपनी कंपनी स्टारलिंक लाना चाहते हैं, तो उसके लिए उन्हें सभी मानदंडों का पालन करना अनिवार्य होगा तभी उन्हें लाइसेंस मिल सकेगा।
क्या और कैसे काम करता है Starlink
एलन मस्क की कंपनी SpaceX ने Starlink इंटरनेट सर्विस की शुरुआत की है। जिसमें दूसरे इंटरनेट ऑपरेटर की अपेक्षा केबलों या मोबाइल टावरों का उपयोग नहीं किया जाता। स्टारलिंक पृथ्वी की ऑर्बिट में सेटेलाइट के नेटवर्क का प्रयोग करके इंटरनेट सर्विस देता है, जिसका मुख्य उद्देश्य ऐसी जगह पर हाई इंटरनेट स्पीड देना है, जहां अच्छी ब्रांड बैंड कनेक्टिविटी नहीं है। स्टारलिंक हजारों सेटेलाइट के नेटवर्क से चलती है। कोई भी यूजर स्टार लिंक के डिश एंटीना की सहायता से इसका आनंद उठा सकता है।
यह खराब मौसम में भी काफी बेहतर काम करता है। एलन मस्क की यह स्टरलिंक 36 देश में उपलब्ध है, वहीं अगर भारत में इसकी बात की जाए तो इसकी कीमत लगभग ₹7000 हो सकती है। इसके साथ-साथ आपको इंस्टालेशन चार्ज भी अलग से चुकाना पड़ सकता है।
भारत में कौन सी कंपनियों से मुकाबला
भारत में स्टारलिंक ने साल 2022 में आवेदन किया था, वही अमेजॉन ने पिछले ही साल। मौजूदा समय में भारत सरकार ने भारतीय ग्रुप के वनवेब और Jio-SES के साझा उपक्रम जिओ सैटलाइट कम्युनिकेशन को इसका लाइसेंस दिया है। इसके अतिरिक्त भारत में रिलायंस जियो और भारती एयरटेल, वोडाफोन, आइडिया जैसी कई टेलीकॉम कंपनियों का बाहरी कंपनियों जैसे स्टार लिंक (Starlink) और अमेजॉन (प्रोजेक्ट काइपर) के साथ तगड़ा कंपटीशन बरकरार है।
कहां उलझ रहा मुद्दा
स्टार लिंक (Starlink) को लेकर जो बहस चल रही है वह यह है की सेटेलाइट बेस्ट ब्रांड बैंड सर्विस को सपोर्ट करने के लिए स्पेक्ट्रम का आवंटन कैसे किया जाए, जबकि भारतीय कंपनियां इस बात पर जोर दे रही हैं कि शहरी एयरटेल उपभोक्ताओं को सेटेलाइट से जुड़ी सर्विस प्रदान करने के लिए मात्र नीलामी वाले सैटेलाइट उपक्रम का प्रयोग करना चाहिए। लेकिन स्टार लिंक(Starlink) की तरफ से इंटरनेशनल टेलीकम्युनिकेशन यूनियन की ओर से सैटलाइट कम्युनिकेशंस को सजा स्पेक्ट्रम बताया गया है।
भारत के द टेलीकम्युनिकेशंस ऐक्ट 2023 के अंतर्गत सैटलाइट कम्युनिकेशन को प्रशासनिक आवंटन की लिस्ट में सम्मिलित किया गया है। फिर स्पेक्ट्रम को तलाशने के लिए DOPT ने TRAI से कहा। लेकिन भारत का कहना है कि भारत इस मामले में सिर्फ ग्लोबल फ्रेमवर्क को ही मानेगा, क्योंकि अंतरराष्ट्रीय दूर संसार संघ (ITU) का पालन प्रत्येक देश को करना होता है। यह स्पेस सैटेलाइट में एक्स्ट्रा स्पेक्ट्रम के लिए नीति निर्धारण करने वाला संगठन है।
कितने मानदंडों का भारत में करना होगा पालन
इस समय सरकार के लिए सबसे मुख्य चिंता का विषय डेटा ट्रांसफर और आंतरिक सुरक्षा है। स्टारलिंक (Starlink) सहित सभी सैट सेवा देने वाली कंपनियों को डेटा सेंटर भारत मे़ ही लगाने होंगे। इसके साथ ही सरकार की सूचना मांगने पर उसे आसानी से उपलब्ध कराना होगा। वही विशेषज्ञों का कहना है कि सैटकॉम लाइसेंस लेने वाली कंपनियों को 30-40 सिक्योरिटी मानको का पालन करना होगा।
TRAI द्वारा इन नियमों पर अपनी सिफारिशें से 15 दिसंबर तक दी जा सकती है। जब तक इन मानको का पालन नहीं किया जाएगा तब तक लाइसेंस आवेदन पर भी विचार नहीं किया जाएगा।
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