न्यूजीलैंड के पूर्व क्रिकेटर लू विंसेंट ने हाल ही में एक चौंकाने वाला खुलासा किया है। उन्होंने बताया कि भारत में इंडियन क्रिकेट लीग (ICL) के दौरान उनका सामना मैच फिक्सिंग की दुनिया से हुआ। डिप्रेशन से जूझ रहे विंसेंट को इस गिरोह में अपनेपन का एहसास हुआ, जिसने उनके करियर को बर्बाद कर दिया।
फिक्सिंग की शुरुआत और करियर पर प्रभाव
विंसेंट ने 2007 में मात्र 29 साल की उम्र में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास ले लिया था। इसके बाद, उन्होंने इंडियन क्रिकेट लीग में चंडीगढ़ लायंस टीम के साथ खेलना शुरू किया। हालांकि, यह निर्णय उनके लिए घातक साबित हुआ। ICL से जुड़ने के बाद न्यूजीलैंड क्रिकेट बोर्ड ने उनके साथ अपना अनुबंध खत्म कर दिया।
2013 में, ICC की भ्रष्टाचार निरोधक इकाई (ACU) ने उन्हें ICL सहित अन्य लीगों में मैच फिक्सिंग का दोषी पाया। 2014 में, इंग्लैंड क्रिकेट बोर्ड ने उन पर 11 बार आजीवन प्रतिबंध लगाया। हालांकि, हाल ही में यह प्रतिबंध संशोधित कर उन्हें घरेलू क्रिकेट खेलने की अनुमति दी गई।
मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ा गहरा असर
टेलीग्राफ को दिए इंटरव्यू में विंसेंट ने बताया कि मैच फिक्सिंग और पारिवारिक परेशानियों ने उन्हें पूरी तरह तोड़ दिया। उन्होंने खुलासा किया कि इस कठिन दौर में उनके परिवार ने भी उनका साथ छोड़ दिया और वह अपनी बेटी से अलग हो गए।
विंसेंट ने कहा, "मैंने अपनी जिंदगी खत्म करने के बारे में भी सोचा था। डिप्रेशन के चलते कई बार आत्महत्या का ख्याल आया। मैं दर्द से बचने की कोशिश कर रहा था।" उन्होंने स्वीकार किया कि मानसिक तौर पर वह पेशेवर खिलाड़ी बनने की क्षमता नहीं रखते थे।
फिक्सिंग के गिरोह में शामिल होने का कारण
विंसेंट ने खुलासा किया कि भारत में फिक्सिंग के गिरोह में शामिल होकर उन्हें ऐसा लगा जैसे वह किसी अपने समूह का हिस्सा हैं। उन्होंने कहा, "मुझे लगा कि यह गैंग मेरा परिवार है, जहां कोई भी हमारे राज़ बाहर नहीं लाएगा। मैं सोचता था कि मैं उन लोगों के साथ हूं जो मेरा साथ देंगे।"
हालांकि, विंसेंट ने अपनी गलतियों को स्वीकार किया और अब वह अपनी जिंदगी को दोबारा सही दिशा देने की कोशिश कर रहे हैं। उनका यह खुलासा क्रिकेट जगत के लिए एक सीख है कि मानसिक स्वास्थ्य और ईमानदारी को प्राथमिकता देना कितना जरूरी है।
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