भारत के दिग्गज ऑफ स्पिनर आर अश्विन ने इंटरनेशनल क्रिकेट को अलविदा कह दिया है। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पांच मैचों की टेस्ट सीरीज के दौरान गाबा टेस्ट के बाद 38 वर्षीय अश्विन ने अपने संन्यास की घोषणा की। अपने 14 साल लंबे करियर में उन्होंने 106 टेस्ट मैच खेले और 537 विकेट चटकाए। अश्विन की इस उपलब्धि ने उन्हें क्रिकेट इतिहास के सबसे महान गेंदबाजों में शामिल कर दिया है।
मुथैया मुरलीधरन का सम्मानजनक बयान
श्रीलंका के महान स्पिनर मुथैया मुरलीधरन, जिनके नाम टेस्ट क्रिकेट में सर्वाधिक 800 विकेट दर्ज हैं, ने अश्विन की उपलब्धियों पर गर्व व्यक्त किया। मुरलीधरन ने एक इंटरव्यू में कहा, "अश्विन ने बल्लेबाज के रूप में अपने करियर की शुरुआत की थी और स्पिन गेंदबाजी को पार्ट टाइम विकल्प के तौर पर अपनाया। लेकिन जब उन्हें एहसास हुआ कि बल्लेबाजी में उनका भविष्य नहीं है, तो उन्होंने गेंदबाजी पर फोकस किया। उनकी इस साहसिक निर्णय ने उन्हें महान बनाया।"
मुरलीधरन ने यह भी बताया कि अश्विन ने सीखने की भूख और मेहनत से खुद को एक चतुर और सफल खिलाड़ी में तब्दील किया। "अश्विन ने न केवल 500 विकेट लिए, बल्कि अपनी गेंदबाजी में नई विविधताएं भी विकसित कीं। उनकी इस लगन और जुनून को सलाम।"
अश्विन की उपलब्धियां और प्रभाव
टेस्ट क्रिकेट में अश्विन अब तक के सबसे सफल गेंदबाजों में से एक हैं। वह टेस्ट इतिहास में सबसे अधिक विकेट लेने वाले खिलाड़ियों की सूची में सातवें स्थान पर हैं और मुरलीधरन के बाद दूसरे सबसे सफल ऑफ स्पिनर हैं।
मुरलीधरन ने यह भी कहा, "भारत के लिए दूसरे सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज के रूप में रिटायर होना एक बड़ी उपलब्धि है। उन्होंने न केवल तमिलनाडु बल्कि पूरे देश को गर्व का अनुभव कराया है।"
अश्विन की सीखने की जिज्ञासा
मुरलीधरन ने इस बात पर जोर दिया कि अश्विन का सीखने का जुनून कभी खत्म नहीं हुआ। "अपने करियर के अंतिम दौर में भी वह नई चीजें सीखने को तैयार रहते थे। उन्होंने खुद को हर परिस्थिति के लिए तैयार किया और हमेशा अपनी सीमाओं को आगे बढ़ाने की कोशिश की।"
आर अश्विन का क्रिकेट से संन्यास लेना एक युग का अंत है, लेकिन उनकी दूसरी पारी के लिए शुभकामनाएं दी जा रही हैं। उनके योगदान और उपलब्धियों को हमेशा याद किया जाएगा।
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