Ticket Confirmation : ट्रेन से सफर करना लोगों के जीवन में एक आम बात है। लोग आवागमन के लिए रेल यात्रा का सहारा लेते ही हैं। लेकिन रेल यात्रा के दौरान जो सबसे ज्यादा दिक्कत वाली बात होती है वह यह है की ट्रेन में सफर करने के दौरान लोगों की वेटिंग टिकट कंफर्म (Ticket Confirmation) होती है अथवा नहीं। जी हां ट्रेन में सफर करने वाले ऐसे लोग जिनकी टिकट कंफर्म नहीं हो पाती, उनके मन में अक्सर यही सवाल उठता है, कि क्या उनकी टिकट कंफर्म होगी अथवा नहीं। उन्हें यात्रा के दौरान किसी प्रकार की परेशानी का सामना तो नहीं करना पड़ेगा। यह दिक्कत अधिकतर ऑफिस में काम करने वाले लोगों के साथ बहुत अधिक बनी रहती है। क्योंकि वह छुट्टी के दौरान अपने घर जाने के लिए ट्रेन का ही सहारा लेते हैं।
ऐसे में उनके साथ वेटिंग टिकट को लेकर अक्सर समस्या बनी ही रहती है । जी हां यह एक जटिल समस्या है, कि आखिर कितने नंबर तक वेटिंग कंफर्म हो सकती है। इस बात का अंदाजा लगाना सभी के लिए बहुत मुश्किल होता है। हालांकि आजकल बहुत सी ऐसी वेबसाइट हो गई है, जो संभावना बताती हैं। लेकिन कई बार इन वेबसाइट की संभावना भी गलत साबित हो जाती है। इसी कड़ी को ध्यान में रखते हुए रेलवे ने एक बड़ा कदम उठाया है। जी हां यात्रियों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए वेटिंग टिकट को लेकर रेलवे ने खुलासा किया और बताया कि, अब कितने नंबर तक कि आपकी टिकट कंफर्म हो सकती है और इसका वास्तविक फार्मूला क्या है। कैसे आप अपनी टिकट कंफर्म होने का पता लगा सकते हैं। आइए आज इस आर्टिकल के जरिए जानते हैं विस्तार से।
कैसे पता करें कन्फर्म टिकट
फेस्टिव सीजन के दौरान अधिकतर यात्री अपने घर पहुंचने के लिए रेलवे का सहारा लेते हैं, ऐसे में ट्रेनों में मारामारी बहुत अधिक रहती है। जी हां त्योहार के समय प्रत्येक व्यक्ति अपने घर जाने के लिए उतावला रहता है। त्योहारी सीजन के दौरान रेलवे में वेटिंग टिकट (Ticket Confirmation) की संख्या 500 के पार हो जाती है। हालांकि फेस्टिव सीजन के दौरान टिकट का कंफर्म होना काफी मुश्किल होता है। अगर आप भी अपनी वेटिंग टिकट कंफर्म करना चाहते हैं, तो ऐसे में दो ऐसे तरीके हैं, जिनसे आप अपनी वेटिंग टिकट कंफर्म कर सकते हैं, पहले है सामान्य तरीका और दूसरा है रेलवे का इमरजेंसी कोटा। जी हां इन दोनों तरीकों से आप अपनी वेटिंग टिकट के कन्फर्मेशन की जानकारी ले सकते हैं।
कंफर्म होने का फार्मूला
बहुत से ऐसे लोग होते हैं जो ट्रेन में रिजर्वेशन कराने के बाद अपना टिकट कैंसिल करा देते हैं। ऐसे लोगों की संख्या लगभग 21% तो होती ही है। इस तरह अगर बात करें तो किसी टिकट के कंफर्म (Ticket Confirmation) होने की संभावना 21% तो बनी ही रहती है। इसके साथ-साथ स्लीपर के एक कोच में 72 सीट यानी 14 सीटों के कंफर्मेशन की तो बात तो तंय ही रहती है। वही चार से पांच प्रतिशत तक लोग ऐसे भी होते हैं, जो अपना टिकट लेने के बाद ट्रेन में यात्रा ही नहीं करते। अगर ऐसे लोगों की टिकट को भी जोड़ ले तो लगभग 25% यानी एक कोच में 18 सीटों के कंफर्म होने की संभावना निश्चित है।
पूरी ट्रेन में कितनी सीटों का कंफर्म होना निश्चित
यात्री रिजर्वेशन कराने के बाद अपनी सीट के कंफर्म होने को लेकर बहुत अधिक परेशान रहते हैं। वह अक्सर यही चाहते हैं, कि जल्द से जल्द उन्हें उनकी सीट कन्फर्मेशन (Ticket Confirmation) की जानकारी मिल जाए। उदाहरण के लिए अगर एक ट्रेन में स्लीपर के 10 कोच हैं तो 10 कोचों में 18 18 सीटों के कंफर्म होने की संभावना तो बनी ही रहती है। इस तरह वेटिंग टिकट 180 कंफर्म हो सकती है। कुछ ऐसा ही फार्मूला रेलवे की थर्ड, सेकंड और फर्स्ट ऐसी में भी लागू होता है।
संख्या में हो सकती है और भी बढ़ोत्तरी
रेल मंत्रालय के पास इमरजेंसी कोटे की भी व्यवस्था होती है, जिसके अंतर्गत 10 फ़ीसदी सीटें तो रिजर्व होती ही है। इस तरह स्लीपर, थर्ड एसी, सेकंड एसी और फर्स्ट एसी में अलग-अलग नंबर उपलब्ध होते हैं। रेलवे की तरफ से यह इमरजेंसी कोटा इसलिए रखा जाता है, कि अगर अकस्मात कोई व्यक्ति बीमार पड़ जाता है, या किसी को सीट की बहुत अधिक आवश्यकता होती है, तो उस समय रेलवे उसे कंफर्म सीट (Ticket Confirmation) उपलब्ध करा सके। अगर रेलवे ने 10 फ़ीसदी में से 5 फ़ीसदी ही सीटें इमरजेंसी कोटा के अंतर्गत उपलब्ध कराई, तो 5 फ़ीसदी वेटिंग कन्फर्म होने की संभावना और अधिक बढ़ जाती है और यात्रियों को इसका लाभ मिल जाता है।