रणजी ट्रॉफी 2024 में उत्तर प्रदेश और केरल के बीच मुकाबले में केरल के अनुभवी ऑलराउंडर जलज सक्सेना एक बार फिर फोकस में हैं। हालांकि जलज ने इस मैच में पांच विकेट लेकर उत्तर प्रदेश को 162 रनों पर रोका और रणजी ट्रॉफी में अपने 400 विकेट पूरे किए, फिर भी भारतीय टीम में जगह न मिलने का दर्द उनके लिए गहरा है। जलज ने इस शानदार उपलब्धि के बाद भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मौका न मिलने पर निराशा जताई है।
ऐतिहासिक रिकॉर्ड के बावजूद भारतीय टीम में जगह नहीं मिली
जलज सक्सेना का घरेलू क्रिकेट में रिकॉर्ड किसी से कम नहीं है। उन्होंने रणजी ट्रॉफी में 400 विकेट पूरे कर लिए हैं और 6000 से अधिक रन भी बना चुके हैं। यह उपलब्धि उन्हें घरेलू क्रिकेट में एक उत्कृष्ट खिलाड़ी बनाती है, लेकिन राष्ट्रीय टीम में चयनकर्ताओं की अनदेखी ने उनकी मेहनत पर प्रश्नचिह्न खड़ा कर दिया है। जलज का मानना है कि इतने बड़े रिकॉर्ड के बावजूद भी भारतीय टीम में जगह न मिलना उनके करियर के लिए निराशाजनक है।
उन्होंने 143 फर्स्ट क्लास मैचों में 6795 रन बनाए हैं और 452 विकेट भी अपने नाम किए हैं, जो कि भारतीय क्रिकेट के किसी भी घरेलू खिलाड़ी के लिए असाधारण माने जाते हैं। उनके इन आंकड़ों के बावजूद, टीम इंडिया से डेब्यू का मौका न मिलना उनकी मेहनत और समर्पण पर सवाल खड़े करता है।
रणजी ट्रॉफी में मध्य प्रदेश से केरल तक का सफर
जलज सक्सेना ने 2005 में मध्य प्रदेश के लिए अपने रणजी करियर की शुरुआत की थी। शुरुआती वर्षों में संघर्ष के बावजूद उन्होंने खुद को साबित किया और 2016 से केरल की ओर से खेलते हुए अपने प्रदर्शन में निरंतर सुधार किया। फिर भी इतने सालों तक घरेलू क्रिकेट में बेहतरीन प्रदर्शन करने के बाद भी वह टीम इंडिया में जगह नहीं बना पाए हैं।
केरल के लिए खेलते हुए उन्होंने अपने प्रदर्शन को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया, लेकिन दो दशक बाद भी भारतीय टीम से डेब्यू का सपना अधूरा ही रहा। घरेलू क्रिकेट में उनकी अद्वितीय उपलब्धियों के बावजूद, जलज का यह सफर भारतीय क्रिकेट के उन कई प्रतिभाशाली खिलाड़ियों का प्रतिनिधित्व करता है, जिन्हें अपने करियर में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मौका नहीं मिल पाया।
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