Rising inflation : देश में महंगाई की मार तो थमने का नाम ही नहीं ले रही है। जी हां बढ़ती महंगाई (Rising inflation) को देखते हुए देश में अब थोक महंगाई दर अक्टूबर में सालाना आधार पर बढ़कर 2.36 प्रतिशत हो गई। इसके साथ ही देश में थोक महंगाई दर 4 महीने के उच्च स्तर पर पहुंच गई है। जहां सितंबर में यह सिर्फ 1.84% थी। रायटर्स की तरफ से किए गए सर्वेक्षण के अनुसार थोक मूल्य सूचकांक का उपयोग करके मापी गई थोक मुद्रा स्थिति या थोक महंगाई दर 2.2 प्रतिशत रहने की उम्मीद जताई गई थी।
जहां अक्टूबर 2023 में थोक महंगाई दर में 0.26 फ़ीसदी की गिरावट दर्ज की गई थी, वहीं आंकड़ों के मुताबिक खाद्य वस्तुओं के महंगाई अक्टूबर में बढ़कर 13.54 फ़ीसदी हो गई है, जबकि सितंबर में यह 11.53 फ़ीसदी ही थी। महंगाई की इस तगड़ी मार का आम जनता पर काफी असर पड़ा है। इसका मुख्य कारण विशेषतया खाद्य वस्तुओं सब्जियों तथा विनिर्मित वस्तुओं के दाम में लगातार बढ़ोत्तरी होना है।
सब्जियों की कीमत में सबसे अधिक तेजी
सब्जियों के दाम लगातार बढ़ रहे हैं। जी हां लगातार सब्जियों के दाम बढ़ने से मुद्रा स्थिति में 63.04% की वृद्धि हुई है। वही सितंबर में यह सिर्फ 48.73 प्रतिशत ही थी। इसके साथ-साथ अक्टूबर में आलू तथा प्याज की मुद्रा स्थिति में भी क्रमशः 78.73% और 39.25 प्रतिशत के उच्चतम स्तर पर देखने को मिली। इसके साथ-साथ अक्टूबर में ईंधन और बिजली की बात करें तो इसकी मुद्रा स्थिति 5.79 प्रतिशत रही, जोकि सितंबर में सिर्फ 4.05% ही थी।
इसके साथ-साथ अक्टूबर में विनिर्मित वस्तुओं की मुद्रा स्थिति 1.50 प्रतिशत रही, जबकि पिछले महीने यह मात्र एक प्रतिशत ही थी। थोक मूल्य आधारित मुद्रास्फीति में लगातार अक्टूबर में दूसरे महीने में भी तेजी नजर आई। जी हां इससे पहले जून 2024 में यह मुद्रास्फीति 3.43 प्रतिशत रही थी। महंगाई दर को लेकर वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा बृहस्पतिवार को एक बयान दिया गया जिसमें उन्होंने कहा कि
"अक्टूबर 2024 में मुद्रास्फीति बढ़ने की मुख्य वजह खाद्य पदार्थों, खाद्य उत्पादों के विनिर्माण, अन्य विनिर्माण, मशीनरी तथा उपकरणों के विनिर्माण, मोटर वाहनों, ट्रेलर और अर्ध-ट्रेलरों आदि के विनिर्माण की कीमतों में बढ़ोतरी रही."
Rising inflation 14 महीने के उच्चतम स्तर पर
इस सप्ताह की शुरुआत में जारी उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के आंकड़ों के मुताबिक खाद्य वस्तुओं की कीमतों में लगातार हो रही तीव्र वृद्धि के साथ खुदरा मुद्रास्फीति 14 महीने के उच्चतम स्तर 6.21 प्रतिशत पर पहुंच गई है, जोकि भारतीय रिजर्व बैंक की तय सीमा से अधिक है। जिसमें दिसंबर में हो रही नीति समीक्षा बैठक के दौरान नीतिगत ब्याज दरों में कटौती करना मुश्किल हो सकता है।
मौद्रिक नीति तैयार करते समय आरबीआई विशेष रूप से खुदरा मुद्रा स्फीति को ध्यान में रखता है। पिछले महीने केंद्रीय बैंक द्वारा अपने मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दर या रेपो दर को 6.5% पर रखा गया था।