Success Story : किसी भी इंसान की किस्मत कब पलट जाए कुछ कहा नहीं जा सकता। जी हां किस्मत के साथ-साथ इंसान की मेहनत और लगन भी रंग लाती है। जिस इंसान में कुछ कर गुजरने का जज्बा होता है, वह कठिन से कठिन समस्याओं का सामना करने के बाद भी अपने भविष्य को निखार ही लेता है। कुछ ऐसी ही कहानी क्विक हील (Quick Heal) के संस्थापक कैलाश काटकर के जीवन से जुड़ी हुई है।

उन्होंने अपने जीवन में तमाम मुश्किलों का सामना करते हुए आज एक अलग पहचान बनाई है,और 3425 करोड़ बाजार पंजीकरण वाली कंपनी के मालिक बन गए हैं। आइए जानते हैं विस्तार से।

जीवन में रहा बहुत संघर्ष जाने Success Story

कैलाश काटकर (Kailash Kaatkar) का जन्म महाराष्ट्र के रहीमतपुर गांव में हुआ था। पारिवारिक समस्याओं के कारण वह दसवीं कक्षा में ही अपनी पढ़ाई पूरी न कर सके। जी हां पारिवारिक समस्याओं के चलते पढ़ाई पूरी ना कर पाने के बाद वह पुणे चले गए, जहां उन्होंने रेडियो और कैलकुलेटर रिपेयरिंग शॉप में छोटी सी नौकरी कर ली। इस नौकरी का उन्हें मात्र ₹400 मासिक वेतन मिलता था। जल्द ही कैलाश काटकर रेडियो रिपेयरिंग में इतने अधिक निपुण हो गए, कि उन्होंने साल 1991 में मात्र ₹15,000 लगाकर अपनी खुद की एक दुकान खोल ली।

कैलाश को अपने जीवन में बहुत सी पारिवारिक समस्याओं का सामना करना पड़ा। वह अपने घर का तो किसी तरह से गुजारा करते ही थे, इसके साथ-साथ अपने छोटे भाई संजय काटकर की पढ़ाई का खर्चा उठाते हुए उसे कंप्यूटर साइंस का कोर्स कराया।

रंग लाई दुकान और कंप्यूटर

साल 1991 में कैलाश काटकर ने मात्र ₹15000 की लागत लगाकर अपनी रेडियो रिपेयरिंग की खुद की दुकान शुरू कर दी। इसी बीच उन्होंने एक बैंक में पहली बार कंप्यूटर को देखा, जिसे देखकर वह कंप्यूटर से इतना अधिक प्रभावित हुए कि उन्होंने कंप्यूटर का शॉर्ट टर्म कोर्स सीख लिया। धीरे-धीरे उन्हें कंप्यूटर की हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर की काफी अच्छी जानकारी हो गई। फिर उन्होंने मन में एक एंटीवायरस बनाने का ठान लिया और आगे बढ़ते चले गए।

ऐसे आया एंटीवायरस बनाने का ख्याल

जब कैलाश ने कंप्यूटर रिपेयरिंग का कोर्स सीख लिया, तो उन्होंने सोचा कि आखिर कंप्यूटर खराब होने का सबसे बड़ा कारण क्या हो सकता है। उन्हें एहसास हुआ कि अधिकतर कंप्यूटर वायरस के कारण ही खराब हो जाते हैं, इसी बात को ध्यान में रखते हुए उनके मन में एंटीवायरस बनाने का विचार आ गया। उन्होंने अपने छोटे भाई संजय काटकर जो कंप्यूटर साइंस से पढ़ाई कर रहा था, उसके साथ मिलकर एक एंटीवायरस डेवलप किया।

1995 में उन्होंने अपना पहला एंटीवायरस मात्र ₹700 में बेचा। उनके एंटीवायरस को बाजार में इतनी अधिक सफलता मिली, कि उन्होंने बाद में इस बिजनेस पर भी अपना ध्यान केंद्रित किया।

क्विक हील की स्थापना और वैश्विक पहचान

कैलाश काटकर के पहले एंटीवायरस ने बाजार में जमकर सुर्खियां बटोरी। उनके एंटीवायरस को लोगों द्वारा बहुत अधिक सराहा गया, जिसके बाद दोनों भाई अपना पूरा ध्यान एंटीवायरस पर ही केंद्रित करने लगे। साल 2007 में दोनों भाइयों ने मिलकर अपनी कंपनी का नाम सीएटी कंप्यूटर सर्विसेज लिमिटेड से बदलकर 'क्विक हील टेक्नोलॉजीज' (Quick Heal Technologies) कर दिया‌।

आज उनकी यह कंपनी कई देशों में पॉपुलर हो गई है। इसके साथ-साथ उनकी इस कंपनी के ऑफिस जापान, अमेरिका, अफ्रीका, और यूएई में भी हैं। इसके साथ-साथ साल 2016 में कैलाश काटकर की कंपनी 'क्विक हील' का नाम शेयर बाजार में भी सूचीबद्ध हो गया है।

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