भारत के महान बल्लेबाज और पूर्व कप्तान सुनील गावस्कर ने बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के पहले टेस्ट से पहले ऑस्ट्रेलिया में निर्धारित अभ्यास मैच को रद्द करने के भारतीय टीम के निर्णय पर चिंता व्यक्त की है। उनका मानना है कि इस फैसले से भारतीय टीम के खिलाड़ियों के लिए जरूरी तैयारी का अभाव हो सकता है।

अभ्यास मैच के महत्व पर जोर

भारत को 22 नवंबर से पर्थ स्टेडियम में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पहला टेस्ट मैच खेलना था, इसके पहले वाका में एक अभ्यास मैच की योजना बनाई गई थी। हालांकि, कप्तान रोहित शर्मा ने टीम के नेट प्रैक्टिस पर जोर दिया और इस मैच को रद्द करने का फैसला लिया। इसका मतलब यह है कि भारतीय खिलाड़ी पहले टेस्ट के पहले दिन तक किसी प्रतिस्पर्धी क्रिकेट में भाग नहीं लेंगे।

सुनील गावस्कर ने इस निर्णय पर निराशा व्यक्त करते हुए कहा कि टीम को न्यूजीलैंड के खिलाफ हालिया घरेलू श्रृंखला में मिली विफलता को ध्यान में रखते हुए इस अभ्यास मैच की जरूरत थी। उन्होंने बताया कि बेंगलुरु में पहले टेस्ट की दूसरी पारी में भारतीय बल्लेबाजों ने 400 से अधिक रन बनाए, लेकिन उसके बाद स्पिन गेंदबाजों के सामने उनकी कमजोरियां उजागर हुईं। खासकर चौथी पारी में, जहां भारत 150 रन का पीछा करने में असफल रहा।

सुनील गावस्कर का मानना नेट प्रैक्टिस और अभ्यास मैच का अंतर

सुनील गावस्कर ने यह भी कहा कि अभ्यास मैच का महत्व इसलिए है क्योंकि यहां बल्लेबाजों को आउट होने के बाद फिर से बल्लेबाजी करने का मौका नहीं मिलता। यह प्रैक्टिस से ज्यादा महत्वपूर्ण है, क्योंकि नेट्स पर खिलाड़ियों को आउट होने के बाद भी बार-बार बल्लेबाजी करने की छूट होती है, जिससे वे वास्तविक मैच स्थितियों में दबाव का सामना नहीं करते।

सुनील गावस्कर यह भी संकेत दिया कि गेंदबाजों को डर होता है कि कहीं नेट्स में अभ्यास करते समय वे अपने मुख्य बल्लेबाज को घायल न कर दें, जबकि वास्तविक मैच में ऐसी स्थिति कम देखने को मिलती है। इस प्रकार, अभ्यास मैच खिलाड़ियों को वास्तविक परिस्थितियों में प्रदर्शन करने के लिए ज्यादा उपयुक्त होते हैं।

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