हाल ही में Team India को अपने ही घर में न्यूज़ीलैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज (TEST SERIES) में हार का सामना करना पड़ा, जो कीवी टीम के लिए एक ऐतिहासिक जीत साबित हुई। 1955 से भारतीय सरजमीं पर खेलने आ रही न्यूज़ीलैंड टीम को भारत में पहली बार टेस्ट सीरीज जीतने का गौरव मिला।
इस सीरीज में न्यूज़ीलैंड ने भारतीय टीम को लगातार दो मैचों में हराकर तीन मैचों की सीरीज अपने नाम की और भारत का लगातार 18 घरेलू टेस्ट सीरीज जीतने का सिलसिला भी थाम दिया। इस हार के बाद भारतीय टीम की कई मुद्दों पर आलोचना हो रही है, जिससे सीरीज में मिली हार के प्रमुख कारण भी उभरकर सामने आए हैं।
Team India की स्पिन बनी कमजोरी
भारतीय टीम (Team India) को हमेशा से घरेलू मैदान पर स्पिन का सामना करने में कुशल माना जाता रहा है, लेकिन इस सीरीज में यह धारणा टूट गई। शुरुआती दोनों मैचों में न्यूज़ीलैंड के अनुभवी स्पिनर मिचेल सैंटनर (MITCHELL SENTNER) और एजाज पटेल (AJAZ PATEL) ने भारतीय बल्लेबाजों को खूब परेशान किया। पुणे टेस्ट में सैंटनर ने 13 विकेट चटकाए, जिससे भारतीय बल्लेबाज जूझते नजर आए।
भारतीय टीम (Team India) ने पिच को स्पिन-फ्रेंडली बनाया था, लेकिन सैंटनर और पटेल की जोड़ी ने इस मौके का पूरा फायदा उठाते हुए भारत को उसके ही जाल में उलझा दिया। न्यूज़ीलैंड के स्पिन आक्रमण के सामने भारतीय बल्लेबाजों की लय पूरी तरह टूट गई, जो सीरीज हार का एक बड़ा कारण साबित हुआ।
स्टार बल्लेबाजों का खराब फॉर्म
विराट कोहली (VIRAT KOHLI) और रोहित शर्मा (ROHIT SHARMA) की खराब फॉर्म भी भारतीय टीम (Team India) की हार का एक अहम कारण रही। पुणे टेस्ट की दोनों पारियों में रोहित ने सिर्फ 8 रन बनाए, जबकि कोहली का प्रदर्शन भी कमजोर रहा। पिछले कुछ मैचों में भी दोनों बल्लेबाजों का बल्ला खामोश ही रहा है, जिससे मध्यक्रम को भी दबाव झेलना पड़ा।
रोहित ने पिछली आठ पारियों में केवल 104 रन बनाए हैं, जबकि कोहली का औसत भी अपेक्षाओं से कम रहा है। दोनों बल्लेबाजों की नाकामी से टीम को बड़ी मुश्किलें झेलनी पड़ीं और इसका असर सीरीज के परिणाम पर भी दिखा।
मध्यक्रम का असफल प्रदर्शन
भारतीय टीम के मध्यक्रम ने भी इस सीरीज में निराशाजनक प्रदर्शन किया। पुणे टेस्ट में सरफराज खान, ऋषभ पंत, रवींद्र जडेजा और आर अश्विन जैसे खिलाड़ी भी कुछ खास योगदान नहीं दे सके। जब टीम को मध्यक्रम से एक मजबूत साझेदारी की जरूरत थी, तब वह पूरी तरह नाकाम साबित हुआ। लगातार आउट होते खिलाड़ियों ने टीम को स्थिरता नहीं दी, जिससे मैच और सीरीज का पासा न्यूज़ीलैंड के पक्ष में पलट गया।
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